Sunday, August 10, 2014

Muslim Appeasement by so called Secular Hindu Politicians.

तथाकथित सेकुलर हिन्दू नेताओं द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण.












































Friday, July 11, 2014

भगवान,ईश्वर (GOD)

भगवान को जानने पहले हमे यह समक्षना होगा की यह जगत-प्रकृति (सृष्टि) आखिर में कार्य कैसे  करती है, हम रोज दिन और रात्रि का चक्र देखते है वैज्ञानिकों का कहना है की पृथ्वी सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हुए अपनी कक्षा में घुमती है और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के जिस ओर पड़ता है उधर दिन और सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के जिस ओर नहीं पड़ता है उस ओर रात्रि रहती है इसी से दिन और रात्रि का चक्र चलता है। अब तो मनुष्य अंतरिक्ष यात्रा करने लगा है उन्हें तो वैज्ञानिकों के कथन का साक्षात् दर्शन हो गये बाकी के लोग टीवी आदी के मध्य से जान-देख चुके है।

कहने का अर्थ यह है की यह जगत नियमों से बन्धा है नियम ने ही जगत को बन्धे रखा है, क्या आप ने गौर किया है की आग जलाने से गरमी ही क्यों लगती है ढंड क्यों नहीं लगती, प्यास लगने पर पानी क्यों पीते है हवा लेकर अपनी प्यास को क्यों नहीं बुक्षाते, अंधेरा होते ही बिन बत्ती के हमें दिखाई क्यों नहीं देता आदि।

इन सभी प्रश्न का एक ही उत्तर है प्रभु के बनाए अनादी नियमों से जगत बन्धा है इसलिए आग जलाने से गरमी ही लगती है, प्यास पानी से ही बुक्षाता है और अंधेरा होते ही बिन बत्ती के हमें दिखाई नहीं देता, अगर नियम न हो तो कोई भी वैज्ञानिक अविष्कार नहीं हो पयेगा और न ही जगत होगा क्योंकी सब कुछ शून्य में चला जाऐगा, कुछ भी न होगा न अंतरिक्ष होगा न सूर्य होगे न पृथवी होगी और न ही जीव-जनतु  होगे इसलिए प्रभु ने जगत को नियमों से बन्धा है।

इन नियमों का बनाने वाला और कोई नहीं सिर्फ भगवान है, आदी से अंत तक नियम एक रहता है।

सभी वैज्ञानिक अविष्कार प्रभु के बनाये नियमों के अधार पर होते है जो इन नियमों को पढ़ता है उस पर देवी सरस्वती तथा देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है, कहने का तात्पर्य यह है की प्रभु  के बनाये नियमों को पढ़ने पर ज्ञान और धन दोनो की प्राप्त होती है।

प्रभु के बनाये नियमों को पढ़ने से ज्ञान की प्राप्ती होती है उससे वैज्ञानिक अविष्कार होते है और लोगों का जीवन जीना असान हो जात है इससे श्रिः तथा लक्ष्मी की प्राप्ती होती है।

अब मोटरकार को लीजिए उसे बनाने के पहले बहुत सारा पार्टस की जरूरत होगा बडा छोटा सभी तथा विभिन्न व्यक्तियों का हाथ मोटर कार के पार्टस को बनाने में लगा होगा चाहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लगता है। उसी तरह इस जगत को बनाने के लिए अलग-अलग पदार्थ की जरूरत होगी तथा जगत  को बनने में सहयोग करने वाले भी होगे और वह है देवता अर्थात दिव्य गुण युक्त पदार्थ।

अब प्रश्न उठता है देवता किसका सहयोग जगत को बनाने में करते है इस प्रश्न का एक ही उतर है भगवान का जिसने दिव्य गुण धरण किया हुए इन देवताओं के सहयोग से यह जगत को रचा ये देवता है अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, सूर्य, चन्द्र, तारे, ग्रह, उपग्रह, विभिन्न तरह के रसायन आदी।

अब प्रश्न उठता है की अगर भगवान ने अगर जगत को रचा तो भगवान दिखाई क्यों नहीं देता इसका उत्तर है साकार(दिखाई देने वाला) भगवान इस अनंत(अन्तहीन) जगत को कैसे रच  सकता है सर्वव्यापी निराकार भगवान ही सभी जगह पहुच सकते है आकार वाले की सीमा होती है वह एक ही समय में अनेक कार्य नहीं कर सकता है और न ही अनेक जगह पर हो सकता है जैसे एक मनुष्य जो की साकार है वह एक ही समय में खेत में बीज बोने, मोटरयान बनाने तथा अंतरिक्ष की यात्रा नहीं कर सकता है क्योंकी उसकी कुछ सीमा है पर निराकार भगवान की कोई सीमा नहीं है वह सर्वव्यापी है अनंत अंतरिक्ष में, तारे, सूर्य, पृथ्वी, जीव-जन्तु, अणु-परमाणु(जगत का सबसे छोटा पदार्थ) आदि में है

सर्वव्यापी निराकार भगवान को वेद में ओ३म्-ॐ कहा गया है, ओ३म्-ॐ ही ब्रह्मा, ओ३म्-ॐ ही  
विष्णु, ओ३म्-ॐ ही महेश-शिव है।
ओ३म्-ॐ वैदिक धर्म में भगवान की उच्चतम नाम है।
भगवान तीन लौकिक कार्य है:- 1) निर्माण, 2) रखरखाव, 3) विनाश।
वे महान त्रिमूर्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं वे अक्सर संबोधित किया जाते है.....
ब्रह्मा -(ब्रह्मांड के निर्माता)
विष्णु -( ब्रह्मांड के संचालन,पालक और रक्षक)
महेश-शिव-(ब्रह्मांड के विनाशक और रूपांतरण या परिवर्तक)

दस्यु\दुष्ट (Dasyu)

People with criminal minded
Sanskrit word Dasyu means Evil, Criminal, terrorist, thief, robber, rapist, corrupt, extremist are the example of Dasyu.

  • संस्कृत शब्द दस्यु का अर्थ दुष्ट, अपराधी, आतंकवादी, चोर, डाकू, बलात्कारी, भ्रष्ट, उग्रवादी दस्यु के उदाहरण हैं। 
  • दस्यु\दुष्ट(अपराधी प्रवृत्ति के लोग)
  • दस्यु याने दुष्ट है जो शुभ कर्मों और संकल्पों से रहित अपराधी प्रवृत्ति के लोगों है उसे वेद में दस्यु(दुष्ट) कहा गया है|
  • दस्यु- अपराधी, आतंकवादी, चोर, लुटेरा, बलात्कारी, भ्रष्टाचारी, उग्रवादी आदी दुष्ट प्रवृत्ति के लोग दस्यु है। 
  • अगर ऐसे दस्यु-अपराधी प्रवृत्ति के लोग को दंड का भय नहीं होगा तो अपराध बढ़ेगा और आयों(सज्जन-सभ्य) लोगों का जीना कठीन हो जाएगा।
  • दस्यु\दुष्ट(अपराधी प्रवृत्ति के लोग) का संहार करना आयों का परम धर्म(कर्तव्य) है। शुभकमों से क्षीण है या शुभकमों में बाधा डालता हो, जो हिंसा, असत्य, क्रूरता आदि का व्यवहार करता है वह दस्यु(दुष्ट) है।
  • वेदों में दस्यु(दुष्ट)-अपराधी प्रवृत्ति के लोग को दंड अथवा उनका समुल संहार करके नियंत्रण करने के लिए कहता है अथवा वे अपराधी प्रवृत्ति के लोग आयों(सज्जन,सभ्य जन) का जीना दुष्करकर देगें जैसा की आजकल हो रहा है।
  • अतः आयों को वेद का आदेश है की दस्युओं(अपराधी प्रवृत्ति के लोगों) का नाश और आर्य की रक्षा करें।  

आर्य (Arya)

Nobleman
Sanskrit word Arya means noble, kind, honorable, dear, favorable,
polite.

  • संस्कृत शब्द आर्य का अर्थ कुलीन, सज्जन, सभ्य, साधु, दयालु, न्रम आदि हैं|
  • आर्य का अर्थ है महान, दयालु, माननीय, प्रिय, अनुकूल, विनम्र.
  • वेदों में शुभ गुणों वाले मनुष्यों को आर्य कहा गया है, आचरण, वाणी और कर्म में वैदिक सिद्धांतों का पालन करने वाले, शिष्ट, स्नेही, कभी पाप कार्य न करनेवाले, सत्य की उन्नति और प्रचार करनेवाले, 
  • आतंरिक और बाह्य शुचिता इत्यादि गुणों को सदैव धारण करनेवाले आर्य कहलाते हैं|
  • आर्य दुष्ट कर्म से दुर रहने वाला तथा दुष्टों का सर्व-नाशक, बाह्य(बहरी) तथा आंतरिक शुचिता धारण करनेवाले, सुसंकृत भद्रजन आर्य हैं|
  • आर्य के विपरीत शब्द है दस्यु याने दुष्ट है जो शुभ कर्मों और संकल्पों से रहित अपराधी प्रवृत्ति के लोगों है उसे वेद में दस्यु(दुष्ट) कहा गया है|
  • वेदों में दस्यु(दुष्ट)-अपराधी प्रवृत्ति के लोग को दंड अथवा उनका समुल संहार करके नियंत्रण करने के लिए कहता है अथवा वे अपराधी प्रवृत्ति के लोग आयों(सज्जन,सभ्य जन) का जीना दुष्करकर देगें जैसा की आजकल हो रहा है।
  • अतः आयों को वेद का आदेश है की दस्युओं(अपराधी प्रवृत्ति के लोगों) का नाश और आर्य की रक्षा करें।  
  •  पुरुषों के लिए आर्य और स्त्री के लिए आर्या शब्द का प्रयोग होता है।
  • आर्य उतम गुणयुकत परोपकारी मनुषय अभिप्रेत है।
  • कुलीन,सज्जन,सभ्य,साधु,दयालु,न्रम


कान्यकुब्ज (कन्नौज)

  • कान्यकुब्ज का वर्तमान नाम कन्नौज है जो की उत्तर प्रदेश में है।
  • कान्यकुब्ज का प्राचीन नाम महोदया था पुराणों में महोदया देश का उल्लेख है।
  • प्राचीन काल में कान्यकुब्ज देश को महोदया कहा जाता था जो की वर्तमान में कन्नौज है।
  • वाल्मीकि रामायण में कान्यकुब्ज देश का उल्लेख है, इसी देश के ब्राह्मणों को कान्यकुब्ज ब्राह्मण तथा हलवाई वैश्य को कान्यकुब्ज हलवाई वैश्य के नाम से जाना जाता है।
  • कान्यकुब्ज ब्राह्मण शुद्ध रुप से मध्यदेशीय संस्कृति के संवाहक तथा संरक्षक है।
  • कान्यकुब्ज देश आर्यावर्त के मध्यदेश देश में है, इसलिए आर्यावर्त के सबसे प्राचीन जाति वैश्य हलवाई में दो प्रमुख वर्ग मध्यदेशीय हलवाई वैश्य और कान्यकुब्ज हलवाई वैश्य है।
  • कान्यकुब्ज हलवाई वैश्य अपने को कान्यकुब्ज देश के राजा का वंशज मानते हैं जो पहले महोदय पुरी था।
  • मध्यदेशीय तथा कान्यकुब्ज हलवाई वैश्य मध्यदेशीय संस्कृति के संरक्षक है।
  • समय के प्रभाव से कान्यकुब्ज ब्राह्मणों तथा कान्यकुब्ज हलवाई वैश्य के कई उपवर्ग हो गये जो मध्यदेश देश में फैल गये।
याद रखें -आर्यावर्त का मध्य भाग ही मध्यदेश कहलाता है, तथा मध्यदेश की संस्कृति ही मध्यदेशीय
संस्कृति से जाना जाता है।

कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के उपवर्ग              कान्यकुब्ज हलवाई वैश्य के उपवर्ग  
1)सरयूपारी                                          1)अगरवाल

2)संघ्या                                               2)अग्निहोत्री उत्तरकाशी में

3)जहोटीया                                          3)केसरवनी

4)बंगाली                                             4)गुडिया

5)भूमीयार  आदी                                 5)सरयू पारी वैश्य
                           

                                                          6)सोनार कनौजिया  आदी

Tuesday, June 24, 2014

मध्यदेश (मधेश)

आर्यावर्त (भारत) का मध्य भाग मध्यदेश' तथा वाहॉ के निवासी को मध्यदेशीय कहा गया हैं।

मध्यदेश (मधेश)
  • मध्यदेश को जनने के पहले हमें इस शब्द पर गौर करना होगा, मध्य और देश शब्द से मिलकर मध्यदेश बना है। मध्य शब्द का प्रयोग केन्द्रवर्ती और "बीच का" के अर्थ में होता है, मनुस्मृति में आचार्य मनु केन्द्रीय के अर्थ में मध्य शब्द का प्रयोग किया है।
  • मध्य- केन्द्रीय, बीच का या किसी वस्तु के भीतरी भाग को भी मध्य कहते हैं। 
  • आर्यावर्त का मध्य भाग ही मध्यदेश कहलाता है, मनुस्मृति के अनुसार हिमालय व विंध्याचल जो आर्यावर्त का मध्य भाग (बीच का भाग) को मध्यदेश कहा गया है। 
  • मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही  मध्यदेश (मधेश)  राष्ट्र का अस्तित्व रहा है। वेद, पुराण और प्राचीन ग्रन्थों में मध्यदेश की चर्चा और विवरण बराबर मिलती है।
  • प्राचीन काल में मध्यदेश में रहने वाले को मध्यदेशीय आर्य तथा मध्यदेश की संस्कृति को मध्यदेशीय संस्कृति से जाना जाता था ।
  • मध्यदेश आयों की 'आदिम निवास स्थान' है और बहुत पवित्र माना जाता है।
  • मध्यदेशीय आयों के 'डीह' या 'मूल' जिसका अर्थ 'आदिम निवास स्थान' हैं मध्यदेश में हैं क्योंकि इनके पूर्वजों के आदिम निवास स्थान मध्यदेश हैं।
  • ऋग्वेद में आर्य शब्द कृषि सम्पदा के स्वामी, सम्मानीय, श्रेष्ठ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया गया, इस प्रकार मध्यदेशीय आर्य तथा मध्यदेश की संस्कृति श्रेष्ठ है।
  • आर्यावर्त का मध्य भाग मध्यदेश' तथा वाहॉ के निवासी को मध्यदेशीय कहा गया जो बाद में 'मधेसिया' और 'मधेसी' हो गया। 
  • नेपाल में मध्यदेश को मधेस या मधेश तथा मध्यदेशीय शब्द को मधेसिया या मधेशिया कहा जाता हैं।

Thursday, January 30, 2014

मुस्लिमों को आरक्षण भारतीय संविधान का खुल्लम-खुल्ला मखौल है।

भारतीय संविधान का खुल्लम-खुल्ला मखौल उड़ाते हुए मुसलमानों को मजहब(धर्म) आधारित आरक्षण की बात भी की जाने लगी है। भारतीय संविधान मजहब(धर्म) के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को खारिज करता है। मजहब(धर्म) के आधार पर आरक्षण के किसी औचित्य को कोई भी मान्य नहीं कर सकता है। भारत के संविधान में मजहब(धर्म) आधारित आरक्षण दिया ही नहीं जा सकता है इसके लिए ये (मुसलमानों के आरक्षण समथॅक राजनीतिक दल) संविधान में संशोधन करने का गंभीर और राष्ट्र विध्वंसक कदम भी उठा सकते हैं।

 मुस्लिमो को आरक्षण के परिणाम - 
1) भारत की धर्मनिरपेक्ष(सेक्युलरिज्म) छवि के विरुद।
2) सांप्रदायिक समरसता और राष्ट्र की एकता-अखंडता के विरुद।
3) सरकारी नौकरियों व शिक्षा में मुस्लिमों को आरक्षण योग्यता  के मूलभूत सिद्धांत का उल्लंघन है।
4) मुस्लिमों को आरक्षण मुस्लिम वोट की राजनीति है।
5) मुस्लिम तुष्टिकरण की होड़ राजनीतिक दलों व सत्तासीन सरकारों द्वारा दूसरे समुदायों के बीच गरीबों संबंध में कोई ध्यान नहीं।
6) मजहब(धर्म) के आधार पर सशस्त्र सेना और सुरक्षा बल में मुस्लिमों को आरक्षण देश के सेना और सुरक्षा बल का मनोबल तोड़ना है।

नोट- मजहब को धर्म कहना गलत होगा, धर्म तो सब की विकास की बात करता है, किसी एक समुदाय या सांप्रदाय का नहीं। यहाँ पर केवल समझाने के लिए मजहब के अथॅ धर्म का उपयोग किया गया है।

मुस्लिमो को आरक्षण के समर्थक राजनीतिक दल :-
कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार, सपा, बसपा, जदयू,
वामपंथी(कम्युनिस्ट) आदि।

मुस्लिमो को आरक्षण के विरोधी राजनीतिक दल :-
भजपा, शिवसेना