Thursday, January 30, 2014

मुस्लिमों को आरक्षण भारतीय संविधान का खुल्लम-खुल्ला मखौल है।

भारतीय संविधान का खुल्लम-खुल्ला मखौल उड़ाते हुए मुसलमानों को मजहब(धर्म) आधारित आरक्षण की बात भी की जाने लगी है। भारतीय संविधान मजहब(धर्म) के आधार पर किसी भी प्रकार के भेदभाव को खारिज करता है। मजहब(धर्म) के आधार पर आरक्षण के किसी औचित्य को कोई भी मान्य नहीं कर सकता है। भारत के संविधान में मजहब(धर्म) आधारित आरक्षण दिया ही नहीं जा सकता है इसके लिए ये (मुसलमानों के आरक्षण समथॅक राजनीतिक दल) संविधान में संशोधन करने का गंभीर और राष्ट्र विध्वंसक कदम भी उठा सकते हैं।

 मुस्लिमो को आरक्षण के परिणाम - 
1) भारत की धर्मनिरपेक्ष(सेक्युलरिज्म) छवि के विरुद।
2) सांप्रदायिक समरसता और राष्ट्र की एकता-अखंडता के विरुद।
3) सरकारी नौकरियों व शिक्षा में मुस्लिमों को आरक्षण योग्यता  के मूलभूत सिद्धांत का उल्लंघन है।
4) मुस्लिमों को आरक्षण मुस्लिम वोट की राजनीति है।
5) मुस्लिम तुष्टिकरण की होड़ राजनीतिक दलों व सत्तासीन सरकारों द्वारा दूसरे समुदायों के बीच गरीबों संबंध में कोई ध्यान नहीं।
6) मजहब(धर्म) के आधार पर सशस्त्र सेना और सुरक्षा बल में मुस्लिमों को आरक्षण देश के सेना और सुरक्षा बल का मनोबल तोड़ना है।

नोट- मजहब को धर्म कहना गलत होगा, धर्म तो सब की विकास की बात करता है, किसी एक समुदाय या सांप्रदाय का नहीं। यहाँ पर केवल समझाने के लिए मजहब के अथॅ धर्म का उपयोग किया गया है।

मुस्लिमो को आरक्षण के समर्थक राजनीतिक दल :-
कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार, सपा, बसपा, जदयू,
वामपंथी(कम्युनिस्ट) आदि।

मुस्लिमो को आरक्षण के विरोधी राजनीतिक दल :-
भजपा, शिवसेना