Tuesday, September 22, 2015

हिन्दुओं में जाति प्रथा अज्ञानता की देन है।

हिन्दुओं का मानना है कि जाति प्रथा आदि काल से चली आ रही है और वह जिस जाति में जन्म लेता हैं उसके मरने तक वह जाति उसका साथ नहीं छोड़ती है।
अब आईए हम हिन्दुओं के इस विचार की समीक्षा करते हैं :-
सर्व प्रथम हमें यह देखना होगा कि आदिकाल में जब भाषाओं का विकास भी नहीं हुआ था यह काल पूर्व पाषाण युग था क्या उस काल में मनुष्यों में कार्य विभाजन हुआ था (याद रहे जाति प्रथा का विकास कार्य विभाजन के अधार पर हुआ था जैसे मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार कहलाए, लोहे का कार्य करने वाले लोहार, सोने चांदी का कार्य करने वाले स्वर्णकार, खाद्य पदार्थ का निर्माण तथा उनका विक्रेता अवलेहय कहलाए जो बाद में चलकर हलवाई हो गया आदि) अगर पूर्व पाषाण युग में कार्य विभाजन हुआ नहीं हुआ था तो यह देखना होगा कि उस समय मनुष्यों का रहन-सहन प्राकृतिक था कि नहीं?
हम तो यह जानते है कि जंगल में जंगली जानवरों का रहन सहन प्राकृतिक होता है वहाँ पर जानवरों को झुंड में रहना पड़ता है और एक झुंड में एक ही प्रकार के जानवर होते हैं, झुंड जिस स्थान पर पर रहता है वह उस स्थान पर निगरानी रखता है अगर कोई दूसरा जानवर या जानवरों का झुंड उस स्थान पर अधिकार करने आता है तो दोनों में भयंकर युद्ध होता है।
झुंड का कोई सदस्य अगर अलग हो जाता है तो फिर नया स्थान पर रहने लगता है वह उसका तथा उसके परिवार का स्थान होता है।
अब आईए हम मनुष्यों को इस संदर्भ में ले देखिये जब भाषा का विकास भी नहीं हुआ था तो मनुष्यों को समूह बनाकर रहना पड़ता था और यह इसलिए भी जरूरी हो गया था इससे वह अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा कर सकता था समूह में रहने वाले लोग उसके परिवार के सदस्य ही थे। समूह का आकार बड़ा होने पर समूह के कुछ लोग अलग-अलग  स्थानों पर चले जाते हैं और वहाँ बस जाते हैं, यह सभी नया और पुराना स्थान उनका डीह या मूल स्थान कहलाता है।
डीह या मूल का अर्थ है आदिम निवास स्थान।
आजकल भी परिवार के मूल स्थान छोड़कर कारोबार के लिए अनुकूल अलग स्थान पर जाकर कर बसना आज तक वैश्य समाज में जारी रहा है।
प्राचीन वैश्य जातियों में मध्यदेशीय तथा कान्यकुब्जं हलवाई जातियां हैं, इनका मुख्य कार्य भोज्य पदार्थों का निर्माण तथा विक्रय करना है जो यह प्राचीन काल से करते आ रहे हैं। संसार का सबसे पुराना व्यापार भोज्य पदार्थ का निर्माण तथा उसका वितरण है उसके बाद अन्य व्यापार है।
अब वैश्य शब्द को ले इसका मूल अर्थ है बसना देखिये इसके समानांतर शब्दों के भी वही अर्थ
जैसे - विश्व (विश्व वह है जहां बसा जाये और जहाँ न बसाने योग्य है वह विश्व नहीं)
विष्णु - विश प्रवेशनं
वसंति - बसना
वैश्यं - विश (विश का एक अर्थ है प्रजाः)
वैदिक धर्म में प्रजा को विश कहा जाता था लेकिन बाद में यह वैश्य हो गया और इन्हीं वैश्यों का कार्य विभाजन हुआ और अलग - अलग जाति कार्य तथा स्वभाव के अधार पर गठन होते गया तथा सबसे अन्तिम में ब्राह्मण वर्ण तथा क्षत्रिय वर्ण गठन हुआ।
याद रखें वर्ण का अर्थ है जिसको वरण किया जाय वह कार्य या पेशा।
इनके अलावा जो ज्ञान अर्जित करने में सफल नहीं हो सके चाहे वह किसी भी वर्ग के व्यक्ति हो उससे एक चौथा वर्ग शुद्र वर्ग इनका बना।
वेदों के अनुसार मनुष्य जन्म से शुद्र (अशिक्षित या आजकल की भाषा में हम कह सकते हैं अकुशल अशिक्षित श्रमिक ) होता है विद्या अध्यन के बाद ही दिग्गज बनता है दुसरे शब्दों में कहें तो डिग्री होल्डर, मास्टरेट, डॉक्टरेट, प्रोफेशनल आदि।

Sunday, August 2, 2015

बिहार में जंगल राज्य फिर से न आने दे नीतीश कुमार (जदयू) , लालू यादव (राजद) तथा कांग्रेस को वोट न दे।

इस बार का बिहार के विधानसभा का चुनाव बिहार  तथा देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बिहार तथा देश का भविष्य तय करेगा।

  • बिहार में अभी नीतीश कुमार  मुख्यमंत्री हैं उसे लालू प्रसाद यादव के दल का समर्थन है तथा पर्दे के पीछे से कांगेस पार्टी समर्थन है।
  • नीतीश कुमार के कार्यकाल में बिहार का कुछ भी विकास नहीं हुआ है, बिहार कल भी गरीब था आज भी बिहार गरीब है।
  • नीतीश के शासनकाल में मुस्लिम तुष्टीकरण बहुत ही बढ़ा  गया है, नीतीश सरकार मुसलमानों के तुष्टीकरण में लगी हुई हैं।
  • बिहार के गांवों में बिजली की नहीं है, पीने का पानी भी नहीं है, ,बच्चों के लिए स्कूल तथा कालेज नहीं है। जो स्कूल भवन है वह भी जर्जर है। स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं होती है।
  • बिहार के सड़कें जर्जर है उसपर चलना मुश्किल है पिछले चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता से वायदा किया था अगर सत्ता मिलती है तो बिहार के हर गावों में बिजली पहुंचा देंगे और 24घंटे बिजली मिलेगी लेकिन 24घंटे तो दूर गांवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंचीं है। नीतीश कुमार ने यह भी कहा था की अगर गांवों में बिजली नहीं देने सकें तो जनता से दोबारा वोट नहीं मागने नहीं आयेगें।
  • मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेशर्मी देखिये कि बिजली देने के वादे पूरे नहीं होने के बाद भी वह इस साल 2015 को होने वाले चुनाव में जनता से वोट मांगने आ गये।
  • नीतीश कुमार (जदयू) के दोनों साथी कांग्रेस और राजद (राष्ट्रीय जनता दल) अकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त दल है। अगर नीतीश कुमार फिर से बिहार का शासन संभालते हैं तो ये दोनों दल बिहार को फिर से जंगल राज्य में बदल देंगे। चारों ओर जनता के घन का लूट-खसोट, भ्रष्टाचार, जनता पर अत्याचार, अनाचार, दुराचार बढ़ जायेगा।
  • अगर बिहार को जंगल राज्य होने से बचाना है तो जदयू +राजद +कांग्रेस+वामपंथी को बिहार के विधानसभा चुनाव में वोट न दे।
  • हिन्दू जात-पात को छोड़कर बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जितना है भाजपा ही वह पार्टी है जो बिहार को तथा बिहार की जनता को सुशासन,सुरक्षित,पारदर्शी, तथा विकासमुख सरकार दे पायेगी।
  • हिन्दुओं बिहार के विधानसभा चुनाव में कमल पर बटन दबाकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को जितना है, क्योंकि मुस्लमान तो एकजुट होकर गैर भाजपा दल को वोट देंगें। 

Monday, March 16, 2015

हिन्दू लड़कियों को मुसलमानों के चँगुल में जाने से बचाये।

उत्तर प्रदेश

 बिहार
 मुस्लिम लड़की से शादी करने के बाद हिंदू लड़के को मार डाला। 

पश्चिम बंगाल



झारखंड








Wednesday, February 11, 2015

हिन्दुओं को अरबी फ़ारसी शब्दों तथा भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।


हिन्दुओं को अपने धर्म परम्परा और संस्कृती की रक्षा के लिए विदेशी विधर्मी तथा सेमेटीक अरबी फ़ारसी शब्दों/भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
 
मनुष्यों का स्वभाव है कुछ जानने-सिखाने की इच्छा इससे प्रभावित होकर अविकसित या कम विकसित सभ्यता विकसित सभ्यता से ज्ञान विज्ञान के कई शब्दों को अपने भाषा में प्रयोग करने लग जाती है।

भाषा का प्रभाव तब पडेगा जब सभ्यता विकसित हो और दुसरी सभ्यता अविकसित या कम विकसित हो, अविकसित या कम विकसित सभ्यता विकसित सभ्यता से जुड़ना चाहती है क्योंकि वह कुछ जानना-सीखना चाहतीं है।

अरबी फ़ारसी शब्दों का प्रयोग करने वाले राष्ट्र न तो विकसित है और न ही कोई भी विकसित सभ्यता का प्रतिनिधि करते हैं।

परत्रंत काल में जब इसलामी जेहादी अरबी फ़ारसी बोलने वाले बल पूर्वक अपने मजहब को हिन्दुओं पर थोपा और हिन्दुओं के एक भाग को मत्रांत्रण कर मुसलमान बनाया इसके साथ एक नई भाषा का उर्दू का जनम हुआ।

उर्दू में अरबी, फ़ारसी, हिन्दी, अंग्रेजी आदि शब्दों का प्रयोग किया गया है उसका अपनी कोई शब्द कोश नहीं है अपना कोई वरमाला नहीं है सब कुछ आयातित है।

भारतीय भाषाएँ हैं- 1) हिन्दी 2) तमिल 3) तेलुगु 4) कन्नड़ 5) मलयालम 6) बंगला 7) भोजपुरी 8) मैथिली 9) मगही 10) मराठी 11) पंजाबी 12) अवधि 12) ओड़िया 13) हरियानी 14) गड़वाली आदि।

प्राचीन काल में जब आर्य आर्यावर्त/भारत के अपने आदिम स्थान से निकल कर संसार के कई स्थानों में गये तो वहाँ पर अपनी भाषा और संस्कृती से वहां के लोगों को प्रभावित कर दिया क्योंकि प्राचीन काल में आर्य संस्कृती विकसित सभ्यता का प्रतिनिधि करती थी जो अपने आदिम काल से लेकर सिन्धुघाटी (हड़प्पा और मोजदाड़ो) तक बाकी सभ्यता से बहुत ही विकसित सभ्यता थीं।

प्राचीन काल में आर्य भारत से बाहर केवल भाषा ही नहीं लेते बलकि उन्होंने वहाँ पर स्वस्तिक आकृतियाँ भी बनाईं जिससे हमें जनने में सुविधा हुईं की कभी आर्य लोगों द्वारा वहाँ की संस्कृती को प्रभावित किया गया था।

हिन्दी शब्द    संस्कृत शब्द   अंग्रेजी शब्द
पिता                     Father
भाई          भराता       Brother
माँ           माता        Mother
मातृभूमि                  Motherland
नाम                      Name
नाविक                    Navy
अग्निशमन                Ignition
दसमलव                  Dismal

अंग्रेजी के कई शब्दों का प्रयोग अपनी भाषा में करने में कोई भी बुरा नहीं है क्योंकि वर्तमान समय में ज्ञान-विज्ञान
का केंद्र अंग्रेजी भाषा बना हुआ है परन्तु अरबी फ़ारसी भाषा वर्तमान काल में कोई भी ज्ञान विज्ञान का केंद्र में नहीं है।केवल कुछ समाचार चैनलों और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राज्यनितीक दलों (मुसलमानों के मजहब के समथॅक यानि हिन्दु सनातन धर्म के विरोधी) द्वारा केवल मुसलमानों के तुष्टीकरण हेतु अरबी फ़ारसी शब्द/लिपियों का प्रयोग को प्राथमिकता दी जाती है।

अपनी भाषाओं के ही माध्यम से अपूर्व समृद्दि पाने वाले राष्ट्र है –
१)अमेरिका २)ब्रिटेन ३)फ्रांस ४)जर्मनी ५)जापान ६)दक्षिण कोरिया ७)सिगापुर ८)हालैड ९)स्पेन १०)इटली आदि।

अरबी/फ़ारसी शब्द      हिन्दी शब्द
खबर                 समाचार
हफ़्ता                 सप्ताह
मुलाकात               भेट
मुबारकबाद             शुभकामना
सलामत               कुशल
सलामती              सकुशल
फजीहत               निन्दा
फर्ज                  कर्तव्  
दफनाया               गाड़ना
दफ्तर                कार्यालय
हिन्दुस्तान             भारत (आर्यावर्त)
हिन्दु                 सनातन धर्मी (आर्य)
गंगा-जामुनी तहजीब  मध्यदेशीय संस्कृती
तनहा                अकेला
तारीख               दिनांक
चांद                 चन्द्रमा
अदालत              न्यायालय
कत्ल                हत्या
महफूज              सुरक्षित
महँक                सुगंध
माहिर                दक्ष
वक्त                  समय
फरार                 भागना
माहिर                दक्ष
माहौल              वातावर
मामला               विषय
औकात               स्थिति
आजादी             स्वतंत्रता
अकल               बुद्धि
महसूस              अनुभूति 
माहिर               दक्ष
वक्त                 समय
वहमी               शंकालु
कातिल              हत्यारा
पाक                पवित्र
तकदीर              भाग्य
तहजीब             संस्कार
मुलाजिमों            अपराधी
मुलाकात             भेट
जहर                विष
तब्दील              बदलाव
तअज्जुब            आश्चर्य
तअल्लुक़ा            सम्बन्ध
तारीख               दिनांक
तरकीब              विचा  
हासिल               प्राप्त
फ़तह               विजय
गुलाम              पराधीन
मतलबी             स्वार्थ
मतलब              अथॅ