आर्यावर्त (भारत) का मध्य भाग मध्यदेश' तथा वाहॉ के निवासी को मध्यदेशीय कहा गया हैं।
मध्यदेश को मधेश Madhya Desh (Madesh)
- मध्यदेश को जनने के पहले हमें इस शब्द पर गौर करना होगा, मध्य और देश शब्द से मिलकर मध्यदेश बना है। मध्य शब्द का प्रयोग केन्द्रवर्ती और "बीच का" के अर्थ में होता है, मनुस्मृति में आचार्य मनु केन्द्रीय के अर्थ में मध्य शब्द का प्रयोग किया है।
- मध्य- केन्द्रीय, बीच का या किसी वस्तु के भीतरी भाग को भी मध्य कहते हैं।
- आर्यावर्त का मध्य भाग ही मध्यदेश कहलाता है, मनुस्मृति के अनुसार हिमालय व विंध्याचल जो आर्यावर्त का मध्य भाग (बीच का भाग) को मध्यदेश कहा गया है।
- मानव सभ्यता के प्रारम्भ से ही मध्यदेश (मधेश) राष्ट्र का अस्तित्व रहा है। वेद, पुराण और प्राचीन ग्रन्थों में मध्यदेश की चर्चा और विवरण बराबर मिलती है।
- प्राचीन काल में मध्यदेश में रहने वाले को मध्यदेशीय आर्य तथा मध्यदेश की संस्कृति को मध्यदेशीय संस्कृति से जाना जाता था ।
- मध्यदेश आयों की 'आदिम निवास स्थान' है और बहुत पवित्र माना जाता है।
- मध्यदेशीय आयों के 'डीह' या 'मूल' जिसका अर्थ 'आदिम निवास स्थान' हैं मध्यदेश में हैं क्योंकि इनके पूर्वजों के आदिम निवास स्थान मध्यदेश हैं।
- ऋग्वेद में आर्य शब्द कृषि सम्पदा के स्वामी, सम्मानीय, श्रेष्ठ व्यक्तियों के लिए प्रयोग किया गया, इस प्रकार मध्यदेशीय आर्य तथा मध्यदेश की संस्कृति श्रेष्ठ है।
- आर्यावर्त का मध्य भाग मध्यदेश' तथा वाहॉ के निवासी को मध्यदेशीय कहा गया जो बाद में 'मधेसिया' और 'मधेसी' हो गया।
- नेपाल में मध्यदेश को मधेस या मधेश तथा मध्यदेशीय शब्द को मधेसिया या मधेशिया कहा जाता हैं।
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